Saturday, June 4, 2016

परिवर्तन

आज फिर दो साल के अंतराल के पश्चात कुछ लिख रहा हूँ. काफी कुछ बदल गया है। व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक जीवन में कुछ बड़े परिवर्तन हुए है। पर शायद दुनिया मेरे जीवन से कहीं ज्यादा गति से परिवर्तित हुई है। अब देख लीजिये, पहली बार हिंदी में लिख रहा हूँ, वह भी लैपटॉप मे नहीं, मोबाइल में। एंड्राइड ने जैसे सारा संसार अपने में समां लिया हो। हर परिवर्तन कुछ अच्छा और बुरा समेटे लाता है। पिछ्ले 5 साल में एंड्राइड ने ऐसा ज़ोर पकड़ा है की अब तकरीबन हर चीज़ का एप्लीकेशन बन गया है, काफी कुछ आसानी से हो जाता है। पर ये भी सच है की हम आत्मनिर्भरता से मोबाइल निर्भरता की और भाग रहे है। परंतु ये मनुष्य की प्रवित्ति पर निर्भर है। अब डायनामाइट से पहाड़ तोड़ने है की घर, इसका निर्णय तो हमें ही लेना ह, डायनामाइट ने नहीं ।

अरे हाँ बड़ी बात तो रह गयीे। मैं तकरीबन दो साल पहले पिता बना, एक बहुत सुन्दर और नटखट बेटी का। भगवान से बेटी मांगी और उस ने सुन ली।  जीवन पूरा उसके इर्द गिर्द घूमता है। अपने आँखों के सामने उसे पैदा होते देखा और अब बड़ा होते हुए देख रहा हूँ। सब एक किसी चलचित्र की तरह याद है। उसका इस संसार में आना, पहली हंसी, पहले कदम, पहले शब्द, सब कुछ मस्तिष्क के एक सुरक्षित कोने में सहेज के रख दिया है।सच कहूँ तो पहली बार पता चला की प्रेम किसे कहते है। परमेश्वर को कोटि कोटि नमन।।।

नाम है वान्या, जिसका एक अर्थ है आदर्श पुत्री।

पढ़ने के लिए धन्यवाद, ज्यादा समय नष्ट हुआ लगता हो तो लॉगआउट करे और ट्विटर में जाए।

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